दुनिया भर में कोरोना के बढ़ रहे संक्रमण को लेकर भय ब्याप्त है वहीँ पूरी दुनिया हाइ एलर्ट पर है परन्तु सारे जतन ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के खतरे से निबटने के लिए सरकार के द्वारा जारी किया गया फरमान गरीब मजलूमों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं दूसरों के आशियाने में रहकर अपना जीवन चला रहे इन दिहाड़ी मजदूरों के लिये कोरोना बिमारी को लेकर सरकार के द्वारा जारी किया गया फरमान इन गरिबों मजदूरों के पेट पर भारी पड़ रहा है अब इन्हें कोरोना से पीड़ित होकर मरने से ज्यादा इन्हें भूख से मरने का अंदेशा सता रहा है जो भूखे पेट सैकड़ों मिल पैदल चलकर अपने लोगों तथा अपने आशियाने पर पहुँचने को विवश है वही इन भूखे पेट पर कानून की वर्दी का चोला पहने रखे पब्लिक के सहयोग के लिए पाठ पढाये जाने वाले पुलिस के कुछ गुण्डों के कोप भजन का भी शिकार होना पड़ रहा है जो न्यायोचित नही दिखाई दे रहा है वही सरकार के द्वारा इन गरीब मजलूमों के राहत के लिए जारी की जाने वाली सहायता राशि कब तक धरातल पर उतरेगी भगवान ही मालिक है वास्तव में ये योजनाएं उन जरूरतों मन्दो तक पहुंच पायेगी भी या नही या उन गरीब मजदूरों के भूखे पेट मरने के बाद बिहार तथा देश के अन्य हिस्सों से दिल्ली तथा अन्य शहरों में दिहाडी कर जीवन यापन करने के लिए गए मजदूरों को पैदल वापस आने का नजारा रेल की पटरियों पर देखा जा सकता है जो रेल की पटरी के सहारे भूखे पेट अपने गंतब्य की तरफ निकल चुके हैं अपने पैरों से ही।