बाबा साहब ने संविधान में आरक्षण व्यवस्था की

हजारों वर्षो से इस देश की बहिष्कृत तथा शोषित जनता को केवल दूसरों के बराबर अधिकार मिलने से ही उनका उत्थान नहीं हो सकता. यह एक ऐसी दौड़ होगी जिसमे एक आदमी बलवान और दूसरा कमजोर है. एक पहले से ही आगे खडा है और दूसरा पीछे खडा है. परिणाम यह होगा कि पीछे का आदमी इस दौड में कभी भी कामयाब नहीं हो सकेगा. इसलिए जब इस देश की शोषित और शासित जनता को यहॉ के उच्च वर्णियों के साथ समान अधिकारों के उपयोग के लिए स्पर्धा करनी है, तो पहले उन्हें उच्च वर्णियों के बराबर लाना जरुरी है. 
इसलिए जिन लोगों को हजारों वर्षो से नीचे गिराया गया है उन्हें पहले उनकी गिरावट से ऊपर उठाया जाए अर्थात पहले उन्हें रसातल से धरातल पर लाया जाये ताकि वे दूसरों की बराबरी कर सके इसलिए वे जब तक दूसरों के बराबर नहीं आते विशेष अधिकार दिए जाए. ये विशेष अधिकार आज आरक्षण के अधिकार के नाम से प्रचलित हैं|