इंसान जीता है. पैसे कमाता है. खाना खाता है और अंत में मर जाता है. जीता इसलिए है ताकि कमा सके. कमाता इसलिए है ताकि खा सके और खाता इसलिए है ताकि जिंदा रह सके लेकिन फिर भी मर जाता है अगर सिर्फ मरने के डर से खाते हो तो अभी मर जाओ. मामला खत्म. मेहनत बच जाएगी. मरना तो सबको एक दिन है ही.
समाज के लिए जीयो. जिंदगी का एक उद्देश्य बनाओ. गुलामी की जंजीर मे जकड़े समाज को आजाद कराओ. अपना और अपने बच्चो का भरण पोषण तो एक जानवर भी कर लेता है मेरी नजर में इंसान वही है जो समाज की भी चिंता करे और समाज के लिए कार्य करे।